आजादी(बाल कविता)
बाल कविता :आजादी
पिंजरे में कब मिट्ठू तोता
मन से गाता हंसता
मिट्ठू का मन
घने जंगलों के पेड़ों में बसता
मिट्ठू तोता खूब जानता
आजादी क्या होती
पिंजरे में जो रहते
उनकी आजादी है खोती
एक दिवस आजाद कर दिया
हमने मिट्ठू तोता
झूमा गाया मिट्ठू दीखा
नहीं कभी फिर रोता
बोला अब मैं जंगल जंगल
पेड़ पेड़ जाऊंगा
आजादी मनभावन कितनी
सबको बतलाऊंगा
*****************************
रचयिता ः
रवि प्रकाश रामपुर 999 761 5451