Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Aug 2017 · 2 min read

**आजाओ माखनचोर एक बार फिर जग में**

** सभी देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस और जन्माष्टमी की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ !

यह कविता स्वतंत्र भारत की गाथा सुनाती है ।
कृष्ण को याद करके भारत का हाल बताती है|

* आजाओ माखन चोर
एक बार फिर जग में
हाल दुष्कर है सृष्टि का
हर पल प्रतिपल में

* मची है चीत्कार
चहुँ ओर जग में
भ्रष्टाचार व्याप्त है
यहाँ हर मन में

* आजाओ माखन चोर
एक बार फिर जग में

* अराजकता, चीरहरण, भ्रष्ट आचरण
दिखता हर कूँचे सड़क पर
हर डग पर खड़ा कुशासन
रिश्ते झूठे हैं अब इस जगत में

* दुर्योधन, दुशासन, कंस का जमाना
फिर से आ गया वही सदियों पुराना
घूंसखोरी चली है अकड़ के
न्याय है ही नहीं इस जगत में

* आजाओ माखन चोर
एक बार फिर जग में

* माखन-मिश्री वह टोली हठखेली
नहीं दिखती है अब मानव मन में
गौ-धन का बुरा यहाँ हाल है
गौ-हत्या करें , पापी जग में

* भविष्य नौनिहालों का लगा दांव पर
बन बैठे हैं नाग कालिया हर घाट पर
एक बार कृपया कर जाओ
संसार का दुख हर ले जाओ

* आजाओ माखन चोर
एक बार फिर जग में

* कौरवों का अभी भी यहाँ राज है
पांडवों का जीना दुष्वार है
सच्चा कर्म आकर सिखा जाओ
एक बार फिर मंथन कर जाओ

* युद्धभूमि हर घर में सजी है
भाई-भाई में कटुता भरी है
अहम् अपना यहाँ सर्वस्व है
दुख दरिद्रता का राज सर्वत्र है

आजाओ माखनचोर
एक बार फिर जग में
तार दो हर जन को सत्कर्म से
एक बार फिर से आकर मेरे कान्हा
पढ़ा जाओ गीता का पाठ इस जग में

लिया जन्म तूने इस जग में जब
छटा काली छटी थी अष्टमी पर
एक बार मेरे कान्हा आजाओ
इस सृष्टि को सँवार जाओ

* आजाओ माखनचोर
एक बार फिर जग में
हाल दुष्कर है सृष्टि का
हर पल प्रतिपल में

**********

Language: Hindi
316 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आपसा हम जो दिल
आपसा हम जो दिल
Dr fauzia Naseem shad
देश भक्त का अंतिम दिन
देश भक्त का अंतिम दिन
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
सबसे ऊंचा हिन्द देश का
सबसे ऊंचा हिन्द देश का
surenderpal vaidya
■ आज की प्रेरणा
■ आज की प्रेरणा
*Author प्रणय प्रभात*
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मां जब मैं तेरे गर्भ में था, तू मुझसे कितनी बातें करती थी...
मां जब मैं तेरे गर्भ में था, तू मुझसे कितनी बातें करती थी...
Anand Kumar
சூழ்நிலை சிந்தனை
சூழ்நிலை சிந்தனை
Shyam Sundar Subramanian
एक ही दिन में पढ़ लोगे
एक ही दिन में पढ़ लोगे
हिमांशु Kulshrestha
2524.पूर्णिका
2524.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
संघर्षों की एक कथाः लोककवि रामचरन गुप्त +इंजीनियर अशोक कुमार गुप्त [ पुत्र ]
संघर्षों की एक कथाः लोककवि रामचरन गुप्त +इंजीनियर अशोक कुमार गुप्त [ पुत्र ]
कवि रमेशराज
आधुनिक समाज (पञ्चचामर छन्द)
आधुनिक समाज (पञ्चचामर छन्द)
नाथ सोनांचली
Dr arun kumar शास्त्री
Dr arun kumar शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अरर मरर के झोपरा / MUSAFIR BAITHA
अरर मरर के झोपरा / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
हंसवाहिनी दो मुझे, बस इतना वरदान।
हंसवाहिनी दो मुझे, बस इतना वरदान।
Jatashankar Prajapati
गरजता है, बरसता है, तड़पता है, फिर रोता है
गरजता है, बरसता है, तड़पता है, फिर रोता है
Suryakant Dwivedi
मेरी रातों की नींद क्यों चुराते हो
मेरी रातों की नींद क्यों चुराते हो
Ram Krishan Rastogi
आजकल लोग का घमंड भी गिरगिट के जैसा होता जा रहा है
आजकल लोग का घमंड भी गिरगिट के जैसा होता जा रहा है
शेखर सिंह
सियासी खेल
सियासी खेल
AmanTv Editor In Chief
रक्षा बन्धन पर्व ये,
रक्षा बन्धन पर्व ये,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
अधूरापन
अधूरापन
Rohit yadav
भले नफ़रत हो पर हम प्यार का मौसम समझते हैं.
भले नफ़रत हो पर हम प्यार का मौसम समझते हैं.
Slok maurya "umang"
चाहते हैं हम यह
चाहते हैं हम यह
gurudeenverma198
Tera wajud mujhme jinda hai,
Tera wajud mujhme jinda hai,
Sakshi Tripathi
“See, growth isn’t this comfortable, miraculous thing. It ca
“See, growth isn’t this comfortable, miraculous thing. It ca
पूर्वार्थ
गांधी जी के नाम पर
गांधी जी के नाम पर
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*जानो तन में बस रहा, भीतर अद्भुत कौन (कुंडलिया)*
*जानो तन में बस रहा, भीतर अद्भुत कौन (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
धनानि भूमौ पशवश्च गोष्ठे भार्या गृहद्वारि जनः श्मशाने। देहश्
धनानि भूमौ पशवश्च गोष्ठे भार्या गृहद्वारि जनः श्मशाने। देहश्
Satyaveer vaishnav
"मधुर स्मृतियों में"
Dr. Kishan tandon kranti
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
कबीर: एक नाकाम पैगंबर
कबीर: एक नाकाम पैगंबर
Shekhar Chandra Mitra
Loading...