आज़ कल के बनावटी रिश्तों को आज़ाद रहने दो
आज़ कल के बनावटी रिश्तों को आज़ाद रहने दो
अपने विचारों और विकारों को अपने तक रहने दो
तुम्हारे विचारों और विकारों में स्वयं ही उलझे रहो
सब अलग हैं सबके विचार अलग हैं उन्हें जीने दो
_ सौम्या
आज़ कल के बनावटी रिश्तों को आज़ाद रहने दो
अपने विचारों और विकारों को अपने तक रहने दो
तुम्हारे विचारों और विकारों में स्वयं ही उलझे रहो
सब अलग हैं सबके विचार अलग हैं उन्हें जीने दो
_ सौम्या