आज़ाद हूं मैं
Duet Collaboration
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रंज ये है मुझे कि मैं आज़ाद हूं
झूठी हसीं का मैं एक नकाब हूं
सर – ए – बाद हूं मैं मंजिल का
रूदाद हूं मैं अपनी कहानी का
खड़ी है तामिर मेरी मुझ पर ही
खोदी हुई… मैं एक बुनियाद हूं
जो गुज़र गया वो मेरा कल था
जो नज़र में है वो मेरा आज है
गिरफ्त में हूं राह-ए-मंजिल के
नज़र में है सफ़र-ए-मंजिल मेरी
आजाद हूं मैं, आजाद है मेरे ख्याल
~ Silent Eyes
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बेशर्म हूं कि दिल का आज़ाद हूं
दर्द छिपे है मगर हसीं का नकाब हूं
किस बात की ? रखूं नाराज़गी
तुझसे ए-जिंदगी….. मैं
वह बीता हुआ कल और मैं आज हूं।
~ Azad
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“Freedom is the open window through which pours the sunlight of the human spirit and human dignity.” – Herbert Hoover