आज़ाद परिंदे
बंदिशें तो होती है इंसानों पर
पंछियों को कौन बांध पाया है
प्यार करने वाले भी तो होते है
उड़ते पंछी उन्हें कौन रोक पाया है
इन पंछियों को यूं ही रहने दो
जो भी है दिल में इनको कहने दो
पर ही तो होते है इनकी पहचान
मत बांधो, अब इनको उड़ने दो।।
सुबह को चहचहाट, दिन में व्यस्त
फिर शाम को घर लौट पाते है वो
मज़ा आता है जीने में उनको तभी
जब मिलकर साथ दाना चुगते है वो।।
मिलजुल कर प्यार से रहते है वो
तिनका तिनका चुन कर घर बनाते है वो
अपनो को नहीं देते वो कभी धोखा
मौसम की तरह भी नहीं बदलते है वो।।
इनको तो बंधनों से कोई मतलब नहीं
बना लेते है साथी जो भा जाए कोई कहीं
आज है यहां कल का ठिकाना नहीं
फिर भी जायेंगे जहां साथ रहेगा वहीं।।