आज़ाद क़लम
मेरा फ़न एक तोहफ़ा
किसी रोशन ज़मीर का!
मैंने शुरू की शायरी
लेकर जज्बा फकीर का!!
आख़िर अपनी क़लम
कैसे नीलाम कर दूं!
कुचल कर अपनी गैरत
मैं वारिस कबीर का!!
Shekhar Chandra Mitra
मेरा फ़न एक तोहफ़ा
किसी रोशन ज़मीर का!
मैंने शुरू की शायरी
लेकर जज्बा फकीर का!!
आख़िर अपनी क़लम
कैसे नीलाम कर दूं!
कुचल कर अपनी गैरत
मैं वारिस कबीर का!!
Shekhar Chandra Mitra