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11 Dec 2021 · 1 min read

आज़ादी भीख में नहीं मिली है हमको

ले रहे हैं सांस हम सुकून से जिसमें
ये आज़ादी भीख में नहीं मिली है हमको
दी है हजारों लाखों ने कुर्बानी
तब कहीं जाकर मिली है ये हमको।।

लौ जलाकर रखी जिन्होंने उम्मीदों की
कुर्बान हुई जवानी जिन शहीदों की
सही थी यातनाएं आज़ादी के लिए
मत भूलें हम कुर्बानियां उन शहीदों की।।

ये आज़ादी भीख में नहीं मिली है हमको
दी है हजारों लाखों ने कुर्बानी
तब कहीं जाकर मिली है ये हमको।।

सर पर कफ़न बांधकर
लड़ी थी लड़ाई उन वीरों ने
हंसते हंसते दे दी थी जान
इस वतन के लिए उन वीरों ने।।

ये आज़ादी भीख में नहीं मिली है हमको
दी है हजारों लाखों ने कुर्बानी
तब कहीं जाकर मिली है ये हमको।।

चलता था जो गांधी लाठी के सहारे
सत्य अहिंसा के हथियारों के सहारे
दिलाई थी आज़ादी उसने हमें
आज़ादी के लाखों परवानों के सहारे।।

ये आज़ादी भीख में नहीं मिली है हमको
दी है हजारों लाखों ने कुर्बानी
तब कहीं जाकर मिली है ये हमको।।

रक्षा करने को राष्ट्र की सीमाओं की
परचम फहराए रखने को इस आज़ादी का
कुर्बानी दी जंग में जिन वीरों ने
कुछ तो सम्मान करो उनकी कुर्बानी का।।

ये आज़ादी भीख में नहीं मिली है हमको
दी है हजारों लाखों ने कुर्बानी
तब कहीं जाकर मिली है ये हमको।।

Language: Hindi
15 Likes · 1 Comment · 701 Views
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