आज़ादी के अमर शहीदों
काश होती तक़दीर मेरी कि तुमसे जुड़ता नाम
आज़ादी के अमर शहीदों तुमको मेरा सलाम
देशप्रेम में पागल थे वो आज़ादी के मतवाले
झुके ना दुश्मन के आगे अपने सर कटा डाले
अमृत की तरह पिए हैं तुमने खून के जाम
आज़ादी के अमर शहीदों तुमको मेरा सलाम
वतन की ख़ातिर वो अपना सब कुछ भूल गए
फाँसी के फंदों पर भी हँसते हँसते झूल गए
करो मरो की क़समें खायीं किया आराम हराम
आज़ादी के अमर शहीदों तुमको मेरा सलाम
वतन के हर एक ज़र्रे ज़र्रे को याद है वो कहानी
ग़ुलामी की ज़ंजीरें तोड़ीं देकर अपनी क़ुर्बानी
जिस पर नाज़ है हमको तुमने किया वो काम
आज़ादी के अमर शहीदों तुमको मेरा सलाम