आज़ादी का दिवस
आजादी का दिवस पावन,
लगता कितना मनभावन!
हर पल मदुराई छाई है,
मानों जवानी गदराई है!
मन भर जाता है गौरव से,
राष्ट्र प्रति फिर पौरुष से!
केसरिया बाना भाता है,
तिरंगा आकर्षण पाता है!
धूमधाम और खुशियों से,
सारा राष्ट्र मदमाता है!
हर्ष की बेला आती है,
हर सू खुशियाँ फैलाती है!
लेकिन आजादी का यह दिन,
कितने इतिहास जगाता है!
इसकी कीमत की खातिर,
हर सैनिक ब्याज चुकाता है!
बलिदान लहू का देता है,
खुशियों के ताले की चाबी!
हम बेफिक्री से सोते हैं,
कि वीर जागता रहतें हैं!
देश की रक्षा करने को,
सैनिक स्वेद बहाता है!
लहू से सींची मिट्टी में,
पुष्प आजादी खिलता है!
नमन उन वीर जवानों को,
जो कफन बाँधकर चलते हैं!
उनकी माता-ललनाओं को,
सीने पर पत्थर रखते हैं!
सिंदूर अमर हो जाता है,
उस सैनिक की भार्या का!
नई ब्याही जो आई थी,
रंग उड़ा सुहागन मेहंदी का!
इस आज़ादी की कीमत,
अनमोल है भारत के बालों!
इसका मोल चुकाने को,
लहू लगा शमशीरों को॥