आज़ादी का अमृत
।।आजादी का अमृत।।
वो मरकर भी जिंदा अपना नाम कर गए ,
क्या खूब था उनका जलवा,
खुद कष्ट सह कर हमे खुशहाल कर गए,
खुद पिया गुलामी का विष,
हमे आजादी का अमृत दे गए।
न वो धर्म के नाम पर लड़े,
न जात के नाम पर मरे,
वो अपनी भारत माता के लिये, अपने प्राण न्योछावर कर गए।
हम ऋणी है उन वीर सपूतों के, जो फाँसी पर झूल गए,
जो खाकर सीने पे गोली,
मुँह से आह तक ना बोली,
मरते मरते भी भारत माता की जय जय कार कर गए।
ना किसी एक जगह ना किसी एक घर से,
भारत की हर गली हर महोल्ले से, भारत माता के लाल निकले,
कुछ का नाम हुआ कुछ गुमनाम शहीद हो गए,
नमन है उन महापुरषो को,
जो हमे आजादी का अमृत दे गए,
हमे आजादी का जश्न दे गए।
– रुचि शर्मा (भोजपुर, बिजनौर)