आजकल
शौक है नेमत कहाँ है आजकल।
इश्क में गैरत कहाँ है आजकल।
बिन डरे दुनिया में सच कोई कहीं।
बोल दे हिम्मत कहाँ है आजकल।।
पटरियों फुटपाथ सड़कों पर पड़ा।
खून की कीमत कहाँ है आजकल।।
प्यार के इजहार के बदले चलन।
कोई लिखता खत कहाँ है आजकल।।
कर रही है काम अब ये हर समय।
मौत को फुरसत कहाँ है आजकल।।
प्रदीप कुमार