आजकल तन्हा हूं मैं ….
आजकल तन्हा हूं मैं,
एक साथी चाहिए…
जो सुन सके, सुना सके,
समझ सके समझा सके,
अपने मन की कह सके,
मेरे मन की सुन सके,
बिन वजह बिगड सके
लड़ सके, झगड सके,
रूठूं तो मना सके,
अपना हक जता सके,
पास मेरे आ सके,
बेपनाह प्यार कर सके,
सुख दुख की धूपछाँव में
मेरा साथ भी निभा सके,
मेरे हृदय की व्यथा को,
बिन कहे समझ सके,
अपने दिल में छोटा सा,
मेरा आशियां बना सके,
रह सकूं जिसमें सदां,
मैं पूर्ण स्वाभिमान से,
डांट भी उसकी सुनूं,
तो पूर्ण इत्मिनान से,
मेरी कमियों को भुला,
कुछ बात अच्छी कर सके,
पास में कुछ भी न हो पर,
प्रीत सच्ची कर सके,
उसके चेहरे पर मुझे
मुस्कान मीठी चाहिए,
आजकल तन्हा हूं मै
एक साथी चाहिए…
✍ – सुनील सुमन