Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Sep 2023 · 1 min read

– आजकल के रिश्ते व रिश्तेदार –

– आजकल के रिश्ते व रिश्तेदार –

दुख में जो आंखों से ओझल हो जाते,
सुख में जो त्वरित चले आते,
विपदाओ में दूर के रिश्ते कहलाते,
या फिर वो अनजान हो जाते,
कभी -कभी तो इतनी भयावता यह बतलाते,
कोई रिश्ता नही हमारा तुमसे यह दुनिया को है बतलाते,
उत्कृष्ठ होने पर व्यक्ति के दूर के रिश्ते के काका ,मामा ,भाई -बहन भी,
नजदीक का रिश्ता दुनिया को बताते,
आजकल के रिश्तों का भरत बस इतना सा मोल,
गहलोत इन ऐसे रिश्तों को सदा कर झंकझोर,
रिश्ते व रिश्तेदारों का बस इतना सा पैमाना है,
यह भरत गहलोत ने अपने अनुभवों से जाना है,

भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
संपर्क सूत्र -7742016184 –

Language: Hindi
89 Views

You may also like these posts

"सुबह की किरणें "
Yogendra Chaturwedi
अच्छा लगता है
अच्छा लगता है
Jalaj Dwivedi
गांधी जी के आत्मीय (व्यंग्य लघुकथा)
गांधी जी के आत्मीय (व्यंग्य लघुकथा)
गुमनाम 'बाबा'
तुम जा चुकी
तुम जा चुकी
Kunal Kanth
"इतिहास"
Dr. Kishan tandon kranti
ज़िंदगी के सफ़हात   ...
ज़िंदगी के सफ़हात ...
sushil sarna
बरसो मेघ
बरसो मेघ
जगदीश शर्मा सहज
शेखर सिंह ✍️
शेखर सिंह ✍️
शेखर सिंह
बादलों की आवाज आई वह खड़ी थी वहां पर एक बूंद ऊस पर भी गि
बादलों की आवाज आई वह खड़ी थी वहां पर एक बूंद ऊस पर भी गि
Ashwini sharma
मौलिक विचार
मौलिक विचार
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
इच्छा.
इच्छा.
Heera S
*कहॉं गए वे लोग जगत में, पर-उपकारी होते थे (गीत)*
*कहॉं गए वे लोग जगत में, पर-उपकारी होते थे (गीत)*
Ravi Prakash
इंसान समाज में रहता है चाहे कितना ही दुनिया कह ले की तुलना न
इंसान समाज में रहता है चाहे कितना ही दुनिया कह ले की तुलना न
पूर्वार्थ
आपके दिमाग में जो लक्ष्य केंद्रित होता है।
आपके दिमाग में जो लक्ष्य केंद्रित होता है।
Rj Anand Prajapati
"मासूम ज़िंदगी वो किताब है, जिसमें हर पन्ना सच्चाई से लिखा ह
Dr Vivek Pandey
प्रकृति ने अंँधेरी रात में चांँद की आगोश में अपने मन की सुंद
प्रकृति ने अंँधेरी रात में चांँद की आगोश में अपने मन की सुंद
Neerja Sharma
आओ मिल दीप जलाएँ
आओ मिल दीप जलाएँ
Indu Nandal
🪔🪔दीपमालिका सजाओ तुम।
🪔🪔दीपमालिका सजाओ तुम।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
पहले से
पहले से
Dr fauzia Naseem shad
सीख
सीख
Ashwani Kumar Jaiswal
किसी भी कीमत पर तेरी होना चाहती हूं
किसी भी कीमत पर तेरी होना चाहती हूं
Jyoti Roshni
पर उपदेश कुशल बहुतेरे
पर उपदेश कुशल बहुतेरे
अवध किशोर 'अवधू'
रोशनी की शिकस्त में आकर अंधेरा खुद को खो देता है
रोशनी की शिकस्त में आकर अंधेरा खुद को खो देता है
डॉ. दीपक बवेजा
मैं इक रोज़ जब सुबह सुबह उठूं
मैं इक रोज़ जब सुबह सुबह उठूं
ruby kumari
आत्मज्ञान
आत्मज्ञान
Shyam Sundar Subramanian
जिंदगी खेत से
जिंदगी खेत से
आकाश महेशपुरी
सगळां तीरथ जोवियां, बुझी न मन री प्यास।
सगळां तीरथ जोवियां, बुझी न मन री प्यास।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
सैनिक का सावन
सैनिक का सावन
Dr.Pratibha Prakash
मात-पिता गुरु का ऋण बड़ा, जन्मों न चुक पाए
मात-पिता गुरु का ऋण बड़ा, जन्मों न चुक पाए
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
2813. *पूर्णिका*
2813. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...