– आजकल के रिश्ते व रिश्तेदार –
– आजकल के रिश्ते व रिश्तेदार –
दुख में जो आंखों से ओझल हो जाते,
सुख में जो त्वरित चले आते,
विपदाओ में दूर के रिश्ते कहलाते,
या फिर वो अनजान हो जाते,
कभी -कभी तो इतनी भयावता यह बतलाते,
कोई रिश्ता नही हमारा तुमसे यह दुनिया को है बतलाते,
उत्कृष्ठ होने पर व्यक्ति के दूर के रिश्ते के काका ,मामा ,भाई -बहन भी,
नजदीक का रिश्ता दुनिया को बताते,
आजकल के रिश्तों का भरत बस इतना सा मोल,
गहलोत इन ऐसे रिश्तों को सदा कर झंकझोर,
रिश्ते व रिश्तेदारों का बस इतना सा पैमाना है,
यह भरत गहलोत ने अपने अनुभवों से जाना है,
भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
संपर्क सूत्र -7742016184 –