आजकल की औरते क्या क्या गजब ढा रही (हास्य व्यंग)
आजकल की औरते भी गजब ढा रही।
रात को अपने मर्दों से पांव दबवा रही।।
आजकल की औरते नए नए शौक़ है पाल रही ।
अपने बच्चे आया से,खुद कुत्ते के बच्चे पाल रही।।
आजकल की औरते अपनी उम्र भी छिपा रही ।
सैतालिस की होकर भी वे सत्ताइस की बता रही।।
आजकल की औरते जरा भी न शरमा रही।
आया का काम भी वे पति से ही करवा रही।।
आजकल की औरते,ब्यूटी सैलून जा रही।
काले बाल होने पर भी उनको भी रंगवा रही।।
आजकल की औरते घर पर खाना न बना रही।
बाजार में जाकर,पिज्जा गोल गप्पे उड़ा रही।।
आजकल की औरते,सीमा पे जान लड़ा रही।
स्कूटर तो क्या वे आज हवाई जहाज उड़ा रही।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम