आचार संहिता
आचार संहिता
इश्क मोहब्बत में कभी नहीं लगती देखी आचार संहिता,
राजनीति चुनाव में होती रहती आई है सदा आचार संहिता।
गरीब के घर में हर रोज़ होती है रोटी की आचार संहिता,
भुखा पेट सिकुड़ा बदन बढ़े बाल पर नहीं है आचार संहिता।
कपड़ा छत और चारपाई पर भी बैठी आकर आचार संहिता
फुटपाथ पर झोपड़ी पर कभी नहीं लगती है आचार संहिता।
बर्तन बना फेरी लगाकर नहीं गुजारा उसपर आचार संहिता,
फिर इस धरती की मिट्टी पर क्यों चुप है आचार संहिता।
चौकीदार ने सब दरवाजों पर लगा दी है आचार संहिता,
चोर लुटेरे डाकू गैंगस्टर पर नहीं लगती आचार संहिता।
साहूकार ने गरीब किसानो को लगा रखी आचार संहिता,
मालिक के मालिक पर कभी नहीं लगती है आचार संहिता।
नेता ने वोट खरीद मतदाता पर है लगा रखी आचार संहिता,
मजदूरों की शराब पर कभी नहीं लगती है आचार संहिता।
महिला सुरक्षा सशक्तिकरण पर भी है आज आचार संहिता,
खान मनजीत कर प्रयास कि कभी ना लगे आचार संहिता।
खान मनजीत भावड़िया मजीद
गांव भावड़ तहसील गोहाना सोनीपत हरियाणा।