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12 Mar 2022 · 1 min read

आग दुनियां को अगर तूने लगाई है।

ग़ज़ल

2122……2122……2122…..2
आग दुनियां को अगर तूने लगाई है।
सोच तुझ पर भी तो इसकी आंच आती है।

पेड़ पौधे जानवर इंसां मिटा डाले,
या खुदा कैसे उसे भी नींद आती है।

बम धमाकों में न मरने की जिसे चिंता,
कैसे माँ बच्चों को अब खाना खिलाती है।

आग ये बुझने न पाए डालते हैं घी,
आग ये अपनों ने मिलकर ही लगाई है।

तू जला बैठा है अपना घर अरे नादां,
एक झूठी शान झूठी वाहवाही है।

है अभी भी वक्त सबकुछ जल रहा ले ले,
फिर वतन की खाक यारो किसने पाई है।

आपसी सदभाव जनहित में बनो प्रेमी,
बस इसी मे आप सबकी ही भलाई है।

……..✍️प्रेमी

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