आग दिल मे लगाने लगे
आग दिल मे लगाने लगे
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******* गजल ********
आग दिल में लगाने लगे,
आप हम को सताने लगे।
जान बुझ कर बुझाते नहीं,
तेल से लौ बढ़ाने लगे।
प्यार की आँधियाँ हैं चली,
बिजलियाँ तुम गिराने लगे।
आशिकी का असर हो गया,
ख्वाब में यार आने लगे।
चैन दो पल कहाँ अब रहा,
नींद में भी जगाने लगे।
सोचता ही रहूं सोच में,
याद में क्यों बुलाने लगे।
चौक पर तुम जहाँ देखते,
देख कर मुस्कराने लगे।
स्नेह से जब हमे बोलते,
बोल कर तुम रिझाने लगे।
मन कहे साफ सीरत रखो,
नेक रास्ता बताने लगे।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)