आगाज…जिंदगी का
कभी आगाज जो मेरे साथ
जिंदगी का करना तुम,
तो मेरे दोस्त केवल मुझ पर
यही भरोसा करना तुम
छोडूंगा न साथ
जीवन भर तक
यूँ तो राहों में अनेक
मुश्किलें आएँगी,
कुछ तुमको
कुछ मुझको भरमाएँगी
मगर बहकाने के उनके
न बहक जाना तुम
डरकर उनसे
बीच राह में
साथ न छोड़ जाना तुम
कुछ लोग खडे़ हो जाएँगे
दीवार बनकर
हमारे औ’ तुम्हारे बीच में
मगर केवल एक चीज
जो मुझको तुमसे
और तुमको मुझसे
जोडे़ रखेगी
वो मेरा तुम पर
तुम पर मेरा
केवल भरोसा ही तो होगा
गर वो कायम रहा
तो हम दुनिया की
हर दीवारों को
पार कर जाएँगे
और एक नई दुनिया
अपनी बसा पाएँगे
सोनू हंस