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25 Dec 2021 · 1 min read

आगाज और अंजाम

करती मैं जब किसी रचना का आगाज,
उर में उठे भावों का सजाती साज,
नहीं करती मैं उस पर नाज,
ना ही डरती क्या होगा उसका अंजाम,
बस आता सूकून
जैसे पी लिया कोई जाम,
मिल गया मुझ को मुझ से ही ईनाम डायरी और कलम थाम
***

मैंने उससे दोस्ती का आगाज कर दिया,
अच्छा है बुरा है बात अब यह नहीं,
सच्ची दोस्ती का फरमान कर दिया,
रब से कह कर सरेआम कर दिया,
संग विश्वास यह कर लिया
अंजाम अब खूबसूरत ही होगा मन में यह भर लिया।
– सीमा गुप्ता

Language: Hindi
3 Likes · 3 Comments · 489 Views
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