मरते दम तक मुखिया जी?
एक दिन रामू नाम का छोटा बच्चा बहुत ही शरारत कर रहा था ।उसका बड़ा भाई पास आकर उसे डांटने लगा। पास में बैठे पिताजी बोले बेटा कुछ नहीं होता बूढ़ाऔर बारा एक जैसा होता है धीरे धीरे सुधार जाएगा।
में सब कुछ देख रहा था और सोच रहा था । हे ईश्वर आखिर तेरी लीला क्या है जब बूढ़ा और बारा एक जैसा होता है तो फिर बूढ़ा आदमी मुखिया कैसे बन जाता है आखिर ये क्या विडंबना है?
और एक बात और सोच रहा था कि आखिर लोकतंत्र में एक इतनी बड़ी गलती कैसे हो गई कि बेचारे अधिकारी को या मास्टर साब को 60 साल के बाद सेवा से बंचित कर दिया जाता है और मुखिया जी को मरते दम तक क्यों नहीं बंचित जाता
जिस गुरु ने शिक्षा दी आज बह दर दर ठोकर खा रहा है,जिस किसान ने अनाज पैदा किया नहीं भूख से मर रहा है,गरीब मजदूर को झोपड़ी नसीब नहीं है,और मुखिया जी को बंगला कार भत्ता और बहुत सारा वेतन दिया जा रहा है आखिर क्या विडंबना है?
फिर मैने घर आकर मेरे पिताजी से कहा कि पिताजी से कहा कि पिताजी मुझे मुखिया बनाना है तो पिताजी ने कहा बेटा तू नहीं बन सकता क्योंकि बेटा हमने तेरे साथ एक बहुत बड़ी गलती कर दी मैंने बड़ी ही उत्सुकता से पूछा पिताजी कौन सी पिताजी बोले बेटा हम ने तुझे पढ़ा लिखा कर एक नेक इंसान बना दिया ।यदि हम तुझको भैंस खरीद कर करवाते तो तू इक दिन जरूर घर का ही नहीं अपितु देश का भी बहुत बड़ा मुखिया बन जाता।
✍️ कृष्णकांत गुर्जर