आखिर जवानी में भुल जाते हों
गीतो को तुम तो गुन गुनाते हो,
भरी जवानी में क्यो इतराते हो ।
भुल जाते हो माँ – बाप का प्यार ,,
जिनको तुम पराये कर जाते हो ।।
आखिर जवानी में…………….. 1
इस जिन्दगी में तुमने क्या किया ,
तन – मन में स्वार्थ भरते हो।
उसकी ममता को भुलकर तुम ,,
खुदको सच्चा आशिक बताते हो।।
आखिर जवानी भुल……………. 2
चोट पर बचपन का भुत भुल गये,,
माँ से मलम लगाने खुदको भगाते हो।
ममता की करूणा को ठुकराकर ,,
तुम पराये बंधनो में बंध जाते हो।।
आखिर जवानी में…………….. 3
जिसने तुमको दुनिया का पाठ पढाया,
तुम उनके रास्ते से फैर बदलते हो।
अब इस जवानी में ऐसा क्या प्यारा ,,
जो उन माँ – बाप को ठुकरा जाते हो।
आखिर जवानी भुल……………. 4
माँ – बाप ने घर का दिप बताया ,,
उनका दिप बुझा तो आश्रम छोड आते हो।
सबक तो विधाता तुमको दे ही देगा,
सबक पाके भी तुम पश्चताते हो ।।
आखिर जवानी में………………5
माँ के उस आँचल को देख तुम मुझको ,,
भरी करूणा के उद्गार भराते हो ।
क्या कहूँ ए – दुनिया तेरी करनी से ,,
रणजीत के ह्रदय में चिंगारे भराते हो ।।
आखिर जवानी में……………..6
रणजीत सिंह “रणदेव”चारण
मूण्डकोशियाँ
7300174927