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28 Apr 2022 · 1 min read

आखिरी सलाम इस आखिरी पतझड़ के मौसम को

एक एक करके
उस पेड़ के सारे पत्ते
झड़ गये
लो हर बार की तरह
एक बार फिर आ गया
पतझड़ का मौसम लेकिन
इस बार पेड़
यह अच्छे से जानता है कि
यह पतझड़ का मौसम
उसके लिए
आखिरी है
नई बहारों का आगमन
करने के लिए
इस बार वह स्वयं मौजूद नहीं होगा
इस दफा
एक भी फूल को
अपनी डाल पर वह खिलता या
एक भी नये पत्ते को उगता नहीं देख
पायेगा
वजह कोई जानना चाहता नहीं पर
बताने में कोई हर्ज भी नहीं
पेड़ अब जिंदा ही नहीं रहेगा क्योंकि
हिल चुकी हैं उसकी सारी गहरी जड़ें
उसे गिराने को तैयार हैं
उसे गिरता देखना चाहती हैं
साथ छूट रहा उसका जिंदगी से
अलविदा जिंदगी
आखिरी सलाम इस आखिरी
पतझड़ के मौसम को भी।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
245 Views
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