आखिरी मुलाक़ात
पता नहीं ! क्या होगा उस रात
जब होगी अंतिम मुलाक़ात
तन्हा तुम भी होंगे
तन्हाई हमें भी सताएगी
चारों ओर हर कोने पर
बस बरसात ही बरसात
पता नहीं ! क्या होगा उस रात
हाथों की लकीरों में
शायद तुम नहीं थे
कुछ गम थे
जो तेरे आने के बाद पूरे हुए
फिर एक नई शुरुआत
मांग में सिन्दूर
हाथों की मेहंदी
लेकिन किसी और नाम की बात
पता नहीं ! क्या होगा उस रात
यूँ तो दुआओं में रब से हमारी
जिंदगी तुम्हारी हमेशा आबाद
इस जनम तो क्या
हर जनम हमारे लिए
इंतजार की रात
‘भंडारी’ याद करेगा तुम्हें
हर मोड़ पर यारा
बस एक ही बात
और आँखों से बरसात
पता नहीं ! क्या होगा उस रात