Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Feb 2018 · 2 min read

आखिरी धन

1 दिन एक राजा ने अपने 3 मन्त्रियो को दरबार में बुलाया, और तीनो को आदेश दिया के एक एक थैला ले कर बगीचे में जाएं ..,
और
वहां से अच्छे अच्छे फल (fruits ) जमा करें .
वो तीनो अलग अलग बाग़ में प्रविष्ट हो गए ,
पहले मन्त्री ने कोशिश की के राजा के लिए उसकी पसंद के अच्छे अच्छे और मज़ेदार फल जमा किए जाएँ , उस ने काफी मेहनत के बाद बढ़िया और ताज़ा फलों से थैला भर लिया ,

दूसरे मन्त्री ने सोचा राजा हर फल का परीक्षण तो करेगा नहीं , इस लिए उसने जल्दी जल्दी थैला भरने में ताज़ा , कच्चे , गले सड़े फल भी थैले में भर लिए ,

तीसरे मन्त्री ने सोचा राजा की नज़र तो सिर्फ भरे हुवे थैले की तरफ होगी वो खोल कर देखेगा भी नहीं कि इसमें क्या है , उसने समय बचाने के लिए जल्दी जल्दी इसमें घास , और पत्ते भर लिए और वक़्त बचाया .

दूसरे दिन राजा ने तीनों मन्त्रियो को उनके थैलों समेत दरबार में बुलाया और उनके थैले खोल कर भी नही देखे और आदेश दिया कि , तीनों को उनके थैलों समेत दूर स्थान के एक जेल में ३ महीने बंद कर दिया जाए .

अब जेल में उनके पास खाने पीने को कुछ भी नहीं था सिवाए उन थैलों के ,
तो जिस मन्त्री ने अच्छे अच्छे फल जमा किये वो तो मज़े से खाता रहा और 3 महीने गुज़र भी गए
फिर दूसरा मन्त्री जिसने ताज़ा , कच्चे गले सड़े फल जमा किये थे, वह कुछ दिन तो ताज़ा फल खाता रहा फिर उसे सड़े गले फल खाने पड़े , जिस से वो बीमार होगया और बहुत तकलीफ उठानी पड़ी .

और तीसरा मन्त्री जिसने थैले में सिर्फ घास और पत्ते जमा किये थे वो कुछ ही दिनों में भूख से मर गया .

** अब आप अपने आप से पूछिये कि आप क्या जमा कर रहे हो ??

आप इस समय जीवन के बाग़ में हैं , जहाँ चाहें तो अच्छे कर्म जमा करें ..
चाहें तो बुरे कर्म ,
मगर याद रहे जो आप जमा करेंगे वही आपको आखरी समय काम आयेगा क्योंकि दुनिया का राजा आपको चारों ओर से देख रहा है ।

Language: Hindi
412 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ख्वाब सुलग रहें है... जल जाएंगे इक रोज
ख्वाब सुलग रहें है... जल जाएंगे इक रोज
सिद्धार्थ गोरखपुरी
जीवन और जिंदगी
जीवन और जिंदगी
Neeraj Agarwal
उम्मीद
उम्मीद
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
मन्नत के धागे
मन्नत के धागे
Dr. Mulla Adam Ali
*तन मिट्टी का पुतला,मन शीतल दर्पण है*
*तन मिट्टी का पुतला,मन शीतल दर्पण है*
sudhir kumar
ना कहीं के हैं हम - ना कहीं के हैं हम
ना कहीं के हैं हम - ना कहीं के हैं हम
Basant Bhagawan Roy
कर्मा
कर्मा
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
ज्ञान से शिक्षित, व्यवहार से अनपढ़
ज्ञान से शिक्षित, व्यवहार से अनपढ़
पूर्वार्थ
🙅शाश्वत सत्य🙅
🙅शाश्वत सत्य🙅
*प्रणय*
*रोटी उतनी लीजिए, थाली में श्रीमान (कुंडलिया)*
*रोटी उतनी लीजिए, थाली में श्रीमान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
जय हनुमान
जय हनुमान
Santosh Shrivastava
एक ज़माना था .....
एक ज़माना था .....
Nitesh Shah
आओ ऐसा दीप जलाएं...🪔
आओ ऐसा दीप जलाएं...🪔
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
आँख मिचौली जिंदगी,
आँख मिचौली जिंदगी,
sushil sarna
सीख गांव की
सीख गांव की
Mangilal 713
* नहीं पिघलते *
* नहीं पिघलते *
surenderpal vaidya
मनहरण घनाक्षरी
मनहरण घनाक्षरी
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
विश्व की पांचवीं बडी अर्थव्यवस्था
विश्व की पांचवीं बडी अर्थव्यवस्था
Mahender Singh
जीवन ज्योति
जीवन ज्योति
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
*****खुद का परिचय *****
*****खुद का परिचय *****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
"हल्दी"
Dr. Kishan tandon kranti
1)“काग़ज़ के कोरे पन्ने चूमती कलम”
1)“काग़ज़ के कोरे पन्ने चूमती कलम”
Sapna Arora
ना जाने
ना जाने
SHAMA PARVEEN
बची रहे संवेदना...
बची रहे संवेदना...
डॉ.सीमा अग्रवाल
टूटकर बिखरना हमें नहीं आता,
टूटकर बिखरना हमें नहीं आता,
Sunil Maheshwari
अगलग्गी (मैथिली)
अगलग्गी (मैथिली)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
दिल पर करती वार
दिल पर करती वार
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
मेरा तो इश्क है वही, कि उसने ही किया नहीं।
मेरा तो इश्क है वही, कि उसने ही किया नहीं।
सत्य कुमार प्रेमी
दिन गुज़रते रहे रात होती रही।
दिन गुज़रते रहे रात होती रही।
डॉक्टर रागिनी
3703.💐 *पूर्णिका* 💐
3703.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
Loading...