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19 Feb 2024 · 1 min read

* आख़िर भय क्यों ? *

मौत के तांडव से आख़िर भय क्यों ?
जिंदा इंसान कब था मरे से भय क्यों ?

क्या मौत आने से ही मरता इंसान ?
फिर आज ग़म-ग़मगीन इंसान क्यों है ?

कितने ही क्यों छिपे बैठे दिल कोने में
आख़िर इंसान जिंदा है तो क्यों ?

बडा अजीब जानवर है इंसान
आख़िर जानवर हो इंसान क्यों है ?

कहते है इंसानो की सोहबत में
जानवर भी इंसान बन रहता है ।

इंसान किस जानवर की सोहबत पा
खो इंसानियत जानवर बना आज ।

मौत के तांडव से आख़िर भय क्यों ?
जिंदा इंसान कब था मरे से भय क्यों ?

क्या मौत आने से ही मरता इंसान ?
फिर आज ग़म-ग़मगीन इंसान क्यों है ?

डर मत डगर पर चलाचल छल मत
न अपने को ना अपनों को भला ।

मौत से क्या डरना मरकर अमर बन
हो पार नाव चढ़ थाम पतवार घर अपने।

उत्सव मना चल उस ओर चल
आनन्दमग्न भग्न आशायें मत कर ।

मौत के तांडव से आख़िर भय क्यों ?
जिंदा इंसान कब था मरे से भय क्यों ?

क्या मौत आने से ही मरता इंसान ?
फिर आज ग़म-ग़मगीन इंसान क्यों है ?

💐मधुप “बैरागी”

Language: Hindi
1 Like · 143 Views
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