आखरी मुलाकात
हम मिले
फिर से एक बार
हमने सलीके और शिष्टाचार सांझा किए थे
एक दूसरे से सालो बाद एक पुराना वाक्य दोहराया
“बहुत खुशी हुई आपको इतने सालों बाद देखकर”
पर मेरे भीतर का ब्रह्मांड टूटकर बिखर गया था
थक कर सो गए थे सारे जीव-जंतु
शेर ने राजपाट त्याग कर शहरवास कर लिया हो जैसे
बाज अपने पंख भूल गया हो कहीं
मछलियां डूब कर मरने किनारे आ गई हों
भेड़ियों ने पिंचरों को घर मान लिया था जैसे
सांप अपनी केचुल में वापस जाने की तैयारी में हो
हमारे वाक्य टूटकर खामोश हो चुके थे
शायद आखिरी मुलाकात के यही तौर तरीके हैं ।