आखरी पन्ने
कहानी लिखते-लिखते आखरी पन्ने पर आ पहुँचें।
हमें ही मालूमात है ये के हम कहाँ-कहाँ पहुँचें।
जैसे तैसे कहानी लिख डाली हमने,
अब इस कहानी को रुख़सत कर दें।
चलो आखरी पन्ने पर दस्तख़त कर दें।
हमारी कहानी पता इस किताब से चलेगी।
ये जो जिंदगी है अपने हिसाब से चलेगी।
बड़ी मसक्कत से कुछ किया है नया,
फिर अपनी किस्मत का कैसे खिलाफत कर दें।
अब इस कहानी को रुख़सत कर दें।
चलो आखरी पन्ने पर दस्तख़त कर दें।
अपनी उम्मीदों से पिरोया है एक धागे को।
मैंने बहुत कुछ खोया है कुछ पाने को।
खोने पाने का सिलसिला कभी रुकेगा नहीं,
फिर सोचते हैं ख़्वाबों को फुरसत कर दें।
अब इस कहानी को रुख़सत कर दें।
चलो आखरी पन्ने पर दस्तख़त कर दें।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी