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24 Jan 2024 · 1 min read

आका का जिन्न!

नादान ही तो थे जो अनजान थे बुरा अंजाम होगा
उनका जिन्न उन्हीं के लिए एक बड़ा अज़ाब होगा
वो अक्सर हैवानियत को ये सोचकर शह देते रहे
शैतान उनके इशारों पे चलेगा उनका गुलाम होगा
गुलाम से दहशतगर्दी करवा वो सब पे राज करेंगे
शैतान का सिर उनके लिए हर वक्त क़ुर्बान होगा
मगर कौन जानता था एक दिन वक़्त भी पलटेगा
जिन्न गुर्राएगा आका का ही मंसूबा बेनक़ाब होगा
कुछ यूँ भी घटेगा उनके ख़्वाब-ओ-ख़्याल में न था
आका पे ही हमले का क़िस्सा यहाँ सरेआम होगा
एक दिन वो तोड़ देगा ज़ंजीरें ग़ुलामी की यक़ीनन
चिराग़ में क़ैद जिन्न बाहर निकलते आज़ाद होगा
जो तबाह-ओ-बर्बादी का यहाँ ख़ौफ़नाक मंजर है
इस बात का गवाह है हर आका यहाँ बर्बाद होगा!

Language: Hindi
68 Views
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