आकाश
आकाश कहे निज धरती से बाहों में हमारी आ जाओ
है साथ हमरा जन्मों का ऐसे मुझसे न तुम शरमाओ
आकाश कहे निज धरती से बाहों में हमारी आ जाओ
आंसू जो हमारे आए हैं उसे नीर समझ कर रख लेना
आऊ जो तुम्हारी राहों पर बाहों में मुझको भर लेना
आंसू हैं तुम्हारी चाहत के न व्यर्थ उन्हें होने देना
आकाश कहे निज धरती से बाहों में हमारी आ जाओ
न सूखे हरा परिवार तेरे मैं बारिश बन कर आ जाता हूं
महसूस हुआ जो प्यार तेरा बाहों में तेरे सो जाता हूं
आकाश कहे निज धरती से बाहों में हमारी आ जाओ
संजय कुमार✍️✍️