Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Nov 2021 · 3 min read

आकाशवाणी रामपुर के साथ संबंध*

अतीत की यादें
??????
आकाशवाणी रामपुर के साथ संबंध
??????????
आकाशवाणी रामपुर से मेरा पहला संपर्क तब हुआ, जब जुलाई 1983 में मेरे विवाह के पश्चात मेरा और मेरी पत्नी श्रीमती मंजुल रानी का इंटरव्यू लेने के लिए आकाशवाणी रामपुर ने हमें आमंत्रित किया। आकाशवाणी परिसर में श्री मौहम्मद अली मौज ने हमारा स्वागत किया । यह हमारे लिए बहुत गर्व की बात थी । मौहम्मद अली मौज न केवल आकाशवाणी के उच्च पद पर आसीन थे ,अपितु एक अच्छे शायर भी थे । व्यवहार में विनम्रता उनका गुण था। इंटरव्यू एक अन्य महिला ने लिया था। आकाशवाणी रामपुर हमारे दहेज रहित विवाह से प्रसन्न था और इस विषय को व्यापक प्रचार – प्रसार तथा धन्यवाद देने का इच्छुक था ।
फिर उसके बाद आकाशवाणी से मेरे कार्यक्रम बराबर आने लगे । 1984 के आसपास मुझे आकाशवाणी पर एक काव्य गोष्ठी का संचालन करने का अवसर मिला। उसमें एक सज्जन मुरादाबाद से भी आए थे। उन्होंने गोष्ठी आरंभ होने से पहले ही मुझसे कह दिया कि मैं उनके नाम के आगे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अवश्य जोड़ दूँ। मुझे कोई आपत्ति भी नजर नहीं आई ।जब गोष्ठी आरंभ हुई तब उन्होंने फिर मुझे याद दिलाया और उनके नाम को पुकारने से पहले मैंने उन्हें स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कहकर पुकारा ।
आकाशवाणी से हास्य व्यंग्य लेख, जीवनी , विचार प्रधान लेख ,हल्के फुल्के विषय के साथ-साथ अनेक परिचर्चाओं में भी मैंने भागीदारी की है तथा उनका संचालन भी किया है।
एक बार मुरादाबाद निवासी साहित्यकार श्री जयपाल सिंह व्यस्त जी , जो बाद में विधान परिषद के सदस्य भी बने, हमारी परिचर्चा के मध्य उपस्थित थे ।अन्य लोगों को आने में कुछ देर थी । अतः केंद्र निदेशक महोदय के कक्ष में बैठकर हम अनौपचारिक बातचीत करने लगे । उस समय शादियों का मौसम चल रहा था। जयपाल सिंह व्यस्त जी ने अपनी जेब से एक पर्चा निकाला और मुझे दिखाते हुए कहा ” प्रतिदिन 7 – 8 शादियों में आना- जाना हो रहा है । जितने निमंत्रण आते हैं , मैं सभी में जाने का प्रयास करता हूँ।” उनकी यह बात वास्तव में उनकी सामाजिकता से भरी हुई दिनचर्या को रेखांकित करती थी,जिसका वास्तव में समाज में रहते हुए बड़ा भारी महत्व रहता है ।
एक बार मेरे पास आकाशवाणी से फोन आया “कल आपकी मौलाना मौहम्मद अली जौहर के संबंध में एक वार्ता होनी है ।” मैंने तुरंत उत्तर दिया “मैं विवाद में नहीं पड़ना चाहता ।अतः आलेख तैयार नहीं कर पाऊँगा । “उधर से आवाज आई ” मंदीप कौर जी ने मुझे जो आदेश दिया था ,वह मैंने आप तक पहुंचा दिया । अब मंदीप कौर जी चली गई हैं । आपको जो भी कहना है, आप उनसे ही कहिए। मैं भी अब जा रही हूँ।” इतना कहने के बाद उधर से फोन रख दिया गया और मैंने भी इससे पहले ही “अच्छा” कह दिया । अब स्थिति यह थी कि मेरी “मनाही” रिकॉर्ड में नहीं आई थी। मेरे पास मंदीप कौर जी का फोन नंबर भी नहीं था । फिर मैंने रात में बैठकर लेख तैयार किया और अगले दिन 11:00 बजे लेख हाथ में लेकर आकाशवाणी पहुँच गया । मैंने मंदीप कौर जी से कहा “यह लेख पढ़ लीजिए “। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा “रवि जी ! आपके लेख का क्या पढ़ना?” मैंने कहा “नहीं ,मेरा आग्रह है कि आप इस पर एक नजर जरूर डालें।” वह बात को समझ गईं। उन्होंने मेरे कहने पर वह लेख पढ़ा और कहा “यह बिल्कुल सही लिखा है आपने ।” मैंने उन्हें धन्यवाद कहा। और फिर वह लगभग 10 मिनट की एक वार्ता के रूप में प्रसारित हुआ। मैंने निष्पक्ष रुप से ,जो मुझे लिखना चाहिए था वह ,इस लेख में लिखा था ।
जब रामपुर आकाशवाणी के 50 वर्ष पूरे हुए ,तब सादगी के साथ आकाशवाणी परिवार ने अपना उत्सव मनाया और उसमें मुझे भी विशेष रूप से आमंत्रित करके एक स्मृति चिन्ह भेंट किया था । आकाशवाणी रामपुर के संबंध में मुझे दो शब्द कहने का भी अवसर मिला। वह स्मृति चिन्ह तथा आकाशवाणी परिवार के साथ ग्रुप फोटो मेरे जीवन की एक अमूल्य यादगार है।
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997615451

Language: Hindi
Tag: लेख
380 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
रे ! मेरे मन-मीत !!
रे ! मेरे मन-मीत !!
Ramswaroop Dinkar
"बेचैनियाँ"
Dr. Kishan tandon kranti
कठपुतली की क्या औकात
कठपुतली की क्या औकात
Satish Srijan
समय आया है पितृपक्ष का, पुण्य स्मरण कर लें।
समय आया है पितृपक्ष का, पुण्य स्मरण कर लें।
surenderpal vaidya
संघर्ष
संघर्ष
Sushil chauhan
बाट का बटोही ?
बाट का बटोही ?
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
जब मैंने एक तिरंगा खरीदा
जब मैंने एक तिरंगा खरीदा
SURYA PRAKASH SHARMA
गुज़र गयी है जिंदगी की जो मुश्किल घड़ियां।।
गुज़र गयी है जिंदगी की जो मुश्किल घड़ियां।।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
मै ना सुनूंगी
मै ना सुनूंगी
भरत कुमार सोलंकी
बलबीर
बलबीर
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
2485.पूर्णिका
2485.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
कजरी
कजरी
सूरज राम आदित्य (Suraj Ram Aditya)
चेहरा
चेहरा
नन्दलाल सुथार "राही"
यहां कश्मीर है केदार है गंगा की माया है।
यहां कश्मीर है केदार है गंगा की माया है।
सत्य कुमार प्रेमी
लेखनी चले कलमकार की
लेखनी चले कलमकार की
Harminder Kaur
जब असहिष्णुता सर पे चोट करती है ,मंहगाईयाँ सर चढ़ के जब तांडव
जब असहिष्णुता सर पे चोट करती है ,मंहगाईयाँ सर चढ़ के जब तांडव
DrLakshman Jha Parimal
दर्पण जब भी देखती खो जाती हूँ मैं।
दर्पण जब भी देखती खो जाती हूँ मैं।
लक्ष्मी सिंह
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आपदा से सहमा आदमी
आपदा से सहमा आदमी
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
संवेदना अभी भी जीवित है
संवेदना अभी भी जीवित है
Neena Kathuria
सरकार हैं हम
सरकार हैं हम
pravin sharma
कुछ दर्द झलकते आँखों में,
कुछ दर्द झलकते आँखों में,
Neelam Sharma
दलित के भगवान
दलित के भगवान
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
जन पक्ष में लेखनी चले
जन पक्ष में लेखनी चले
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
*
*"ममता"* पार्ट-5
Radhakishan R. Mundhra
कितनी हीं बार
कितनी हीं बार
Shweta Soni
छुट्टी का इतवार( बाल कविता )
छुट्टी का इतवार( बाल कविता )
Ravi Prakash
लोग कहते हैं कि प्यार अँधा होता है।
लोग कहते हैं कि प्यार अँधा होता है।
आनंद प्रवीण
#जय_राष्ट्र
#जय_राष्ट्र
*Author प्रणय प्रभात*
मंद मंद बहती हवा
मंद मंद बहती हवा
Soni Gupta
Loading...