आकलन करने को चाहिए सही तंत्र
दो पीढ़ियों के सोच विचार
में सदा से अंतर दिखे खास
बुद्धिमान करते रहे उनको
समझने का सतत प्रयास
जिस समाज में वैचारिक
अंतर में होती बहुत खाई
वहां हालात उत्पन्न होते हैं
जनता के लिए दुखदायी
तनाव औ संघर्ष के मंजर
होते वहां आएदिन उत्पन्न
बड़ी संख्या में लोग होते
हैं बेरोज़गार और विपन्न
प्रबुद्ध समाज के विचारक
इस बात का रखते हैं ध्यान
जनरेशन गैप के चलते छिड़े
नहीं कहीं कोई भी घमासान
जनरेशन गैप का आकलन
करने को चाहिए सही तंत्र
अन्यथा समाज में सर्वत्र दिखें
लोग कुपित और स्वच्छंद