आकर मेरी मज़ार पर
आकर मेरी मज़ार पर,
अगरबत्ती क्यों जलती हो ?
मेरा दिल तो पहले ही जला था,
अब और क्यों तुम जलती हो ?
मर गया था ठिठर कर मै ,
सर्दियों में तेरे घर के सामने।
अब तो गर्मियों में भी आकर,
मेरे मजार पर चादर उढ़ाती हो।
आकर मेरी मज़ार पर,
अगरबत्ती क्यों जलती हो ?
मेरा दिल तो पहले ही जला था,
अब और क्यों तुम जलती हो ?
मर गया था ठिठर कर मै ,
सर्दियों में तेरे घर के सामने।
अब तो गर्मियों में भी आकर,
मेरे मजार पर चादर उढ़ाती हो।