आकर तो देखो
आओ बाँहों में , समा कर तो देखो .
चाह की तरंग न छिड़े , चले जाना
बस एक बार नज़रें , मिला कर तो देखो
दूर खड़ा है एक मुसाफिर
पार कर उस पार , साथ चलकर तो देखो
हाथों से हाथ मिला कर तो देखो ।।
कहो ना फिर नहीं मयस्सर
मुझपर यकीं करके तो देखो ।।
हो सकता है कोई भी साहिल तुम्हारा…
इस टीले पर आकर तो देखो..
सारी दिशायें दिख पड़ेंगी
बस देखने को , इस पार आकर तो देखो ।।
…………अर्श