आओ रोपें इक तरुवर हम
आओ रोपें इक तरुवर हम
अपनी प्यारी तनुजा के नाम
सींचें उसको नित प्रेम से
आएगा वह सबके काम ।
प्रेम जल से सिंचित तरुवर
बेटी सम परवाह करते हैं ,
ताप घना सहकर भी वे
शीतल छाया देते हैं ।
हर संताप बंजर धरती का
स्वच्छ बयार बहाते हैं ,
पुष्पित होकर वे सदा ही
सुरभित जग कर जाते हैं ।
डॉ रीता