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10 Oct 2021 · 1 min read

आओ मिल कर दीप जलाएं

✒️?जीवन की पाठशाला ?️

मेरे द्वारा स्वरचित मेरी पहली कविता
विषय -आओ मिल कर दीप जलाएं

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Ujagar Samachar

आओ मिलकर दीप जलाएं
अपने अंतर्मन में अलख जगाएं
बाहर की रौशनी तो बहुत हो चुकी
आत्मा को जाग्रत करने वाली लौ बनाएं

बाहर का दीपक एक प्रथा -दुनियादारी है
आंतरिक दीपक उस परब्रह्म तक जाने की तैयारी है
सकंल्प लेते हुए इस दीपक की अग्नि में पाँचों विकारों (काम -क्रोध -मद -लोभ और अहंकार )को जलाएं

अपने आपको उस दीपक के तेल में नहला कर आत्मा को पवित्र बनाएं
जलाएं एक ऐसा दीपक जिससे की हम अनगिनत भटके हुओं को राह दिखाएं
हर आरती में आने वाले तेरा तुझको अर्पण की परिभाषा समझाएं
आओ मिलकर दीप जलाएं

बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा ?सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क ? है जरुरी …!
?सुप्रभात?
स्वरचित एवं स्वमौलिक
“?विकास शर्मा’शिवाया ‘”?
जयपुर-राजस्थान

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 183 Views
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