आओ मिलकर बदलें।
जहाँ जहाँ फैला अँधियारा
आओ दीपक एक जलाएं।
जहाँ जहाँ आंसू बहते हो
आओ मिलकर दर्द बटाएं।
जीवन मे यदि खार मिलें तो
उपवन उपवन फूल खिलाएं।
सूरज से चमके नभ तल पर
चंदा सी चांदनी फैलाएं।
वतन का कर्ज़ है अपने माथे
आओ अपना फर्ज निभाएं।
नफरत का तम दूर भगा दें
प्रेम रोशनी चहुँ दिस फैलाएं।
बेटी आँगन की शोभा है
आओ मिलकर इन्हें बचाएं।
नारी अबला नही,सबला है
आओ इसका मान बढ़ाएं।
ईर्ष्या की दीवारें तोड़ें
सबके लिए सेतु बन जाएं
नैतिक बल व संस्कारों से
आओ हम इंसान बनाएं।