आओ मिलकर खेलें होली
एक गीत : होली पर
आओ मिलकर खेलें होली
पेड़ों पर नए पत्ते आए और प्रकृति की है सजी रंगोली।
यह मस्त महीना फागुन का आओ मिलकर खेलें होली।।
पकी फसल लहराई खेतों में कटाई का बस काम रहा।
बहुत सुहावना हो गया मौसम सरदी का नहीं नाम रहा।।
रंग लाई है मेहनत अपनी पत्नी किसान की यूं बोली।।
यह मस्त महीना फागुन का आओ मिलकर खेलें होली।।
इस डाल से फुदक कर चिड़िया उस डाल पर जा बैठी।
पर फैला कर एक कबूतरी भी थी पास उसके आ बैठी।।
मस्त हो मस्ती में फागुन की दोनों करने लगी ठिठोली।
यह मस्त महीना फागुन का, आओ मिलकर खेलें होली।।
डालें लहकी, पत्ते फड़के फूलों ने उड़ा दी हवा में खुशबू।
जाती सरदी के पाँव देख लो चलेंगी अब बस लू ही लू।।
न रहेगा ऐसा रंग-रूप अपना भी आपस में कलियां बोली।
यह मस्त महीना फागुन का आओ मिलकर खेलें होली।।
पेड़ों पर नए पत्ते आए और प्रकृति की है सजी रंगोली।
यह मस्त महीना फागुन का आओ मिलकर खेलें होली।।
– आनन्द प्रकाश आर्टिस्ट,
अध्यक्ष, आनन्द कला मंच एवं शोध संस्थान,
सर्वेश सदन, आनन्द मार्ग, कोंट रोड़ भिवानी-127021(हरियाणा)
मो. – 9416690206