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10 Sep 2022 · 1 min read

आओ पितरों का स्मरण करें

आओ पितरों का स्मरण करें
विदा हुए जो इस संसार से
देकर स्नेह आशीष हमें
उनके लिए तर्पण करें

न आएंगे लौट फिर कभी वे
देते थे जो पोषण दुलार हमें
उसे फिर से जीवित करें।

कुछ कार्य उनकी स्मृति में
समर्पित करें
आये सोलह दिनों को
लोक अपना छोड़कर वे
देकर कुछ अंश दान उनकी
आत्मा को संतुष्ट करें।

छूट न जाए कोई अभिलाषा
अपूर्ण यही संकल्प करें।

देकर जलांजलि अपनी अंजुनी से
उनकी क्षुधा को पूर्ण करें
करके श्राद्धकर्म आशीर्वाद ग्रहण करें।

लौट जाएंगे फिर धाम अपने
करके सेवा नियम विधान से
उनको नमन करें।।

“कविता चौहान”
स्वरचित एवं मौलिक

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