आओ चले देखने दशहरा
आओ चले देखने दशहरा,
सब चले दशहरा जीतने,
ले हाथों में सब हथियार,
बज रहें देखों ढ़ोल नगाड़े,
गलियों में गूँज रहीं जयकार,
लाठी, तलवार और बंदूक,
चले देखों बच्चें बूढ़े जवान,
पहुँच गए सब बजरंग मंदिर,
लगता कितना सुंदर जहान,
बच्चें सब उछल कूद रहें,
मस्ती में सारे देखों घूम रहें,
यहाँ वहाँ न अब वो बैठ रहें,
गन्ना खाकर देखों झूम रहें,
बंदूक से गोली चलने लगी,
निशाना लगाने की मची होड़,
हवन का धुँआ उठने लगा,
बच्चे लगाने लगे घर की दौड़,
ढूँढ रहें सब नीलकंठ को,
कोई आसमान ताक रहा,
कुछ यहाँ वहाँ देख रहें,
कोई पेड़ो पर झाँक रहा,
अब लौट रहें हैं सब घर,
द्वार द्वार कन्या हैं खड़ी,
हाथों में लिए वो कलश,
सिक्के मिले सोच अड़ी,
कितना सुंदर सुहाना पर्व,
गाँव के दशहरे पर हैं गर्व,
——-जेपीएल