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24 Jul 2021 · 1 min read

आओ गुरु के चरण आज वंदन करें।

गज़ल
काफ़िया- एं
रद़ीफ- गैर मुरद्दफ़
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
212…….212…….212……212

आओ गुरू के चरण आज वंदन करें।
उनको छूकर के हम खुद को निर्मल करें।

गुरू वो पारस जो लोहे को सोना करे,
गुरू कृपा हो तो सब काम बनते चलें।

हर असंभव को संभव बना दे गुरू,
आप राई से बढ़़ कर के पर्वत बनें।

ज्ञान का एक सागर है खुद में गुरू,
उनके सागर से हम अपनी गागर भरें।

जो ये भोतिक जहाँ आज नज़रों मे है,
हाँ ये सच है कि सब गुरु कृपा से बनें।

प्यार कर लो गुरू से मिलेंगे प्रभू,
गुरु के चरणों में बन एक दीपक जलें।

……✍️ प्रेमी
गुरु पूर्णिमा पर हार्दिक शुभकामनाएं।
शुभ प्रभात शुभ दिन की कामना??

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