आओ कुछ लिखकर जाएँ
आओ एक कहानी पढ़ लें
कुछ रचनायें हम भी रच लें
हम भी क़लम उठा लें हाथ
लिख डालें सब मन की बात
सूर्य चंद्रमा तारे लिख दें
भूले बिसरे सारे लिख दें
बचपन की परिवार की यादें
ख़ुद अपनी वो भोली बातें
पहला दिन वो स्कूल का अपना
क्या नहीं लगता बस एक सपना ?
ज़्यादा नहीं अब भी समय होगा
पर घंटा भर तो मिलता होगा
आओ मामा के हो आएँ
नानी की सब कथा सुनायें
बहन बुआजी का करो ख़याल
हो आओ उनके ससुराल
याद करें हम सब वो बातें
बनी हुई हैं जो अब यादें
जो भी बीता बस सपना है
वर्तमान केवल अपना है
इसीलिए कुछ लिख कर जायें
पढ़ने का आनंद उठाएँ –
—घनश्याम शर्मा