आओ करें हम अर्चन वंदन वीरों के बलिदान को
आओ करें हम अर्चन वंदन, वीरों के बलिदान को
हंसते-हंसते लुटा गए जो, मातृभूमि पर प्राण को
स्वप्न लिए आजादी का जो, लाठी डंडा खाते थे
सीने पर गोली खाते थे, वंदे मातरम गाते थे
मातृभूमि के लिए समर्पित, उस अमूल्य अवदान को
आओ करें हम अर्चन वंदन, वीरों के बलिदान को
हंसते-हंसते लुटा गए जो, मातृभूमि पर प्राण को
एक तरफ थी गोरी पलटन, एक तरफ बलिदानी
एक तरफ साम्राज्य था सारा, एक तरफ स्वाभिमानी
नहीं झुकाया तिरंगा प्यारा, ऐसे वीर महान को
आओ करें हम अर्चन वंदन, वीरों के सम्मान को
हंसते-हंसते लुटा गए जो, मातृभूमि पर प्राण को
ढेर यातना सह कर भी, वीरों ने हार न मानी
फांसी और जेलों के डर से, मांग न अपनी त्यागी
पहन बसंती चोला गाया, ऐंसे गीत महान को
आओ करें हम अर्चन वंदन, वीरों के बलिदान को
हंसते-हंसते लुटा गए जो, मातृभूमि पर प्राण को
१८५७ से४७ तक, अगणित वीर शहीद हुए
उनके शुभ बलिदानों से हम, धरती पर आजाद हुए
शत् शत् नमन करें हम मिलकर, ऐंसे अमर जवान को
आओ करें हम अर्चन वंदन, वीरों के बलिदान को
हंसते-हंसते लुटा गए जो, मातृभूमि पर प्राण को
सुरेश कुमार चतुर्वेदी