आओ ऐसा दीप जलाएं…🪔
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आओ मिलकर दीप जलाएं।
घर-घर औ’ सब द्वार-द्वार तक,
अपनापन की लौ लपटाएं।
आओ ऐसा दीप जलाएं।
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दीपक,बाती जल जाने दो!
तिमिर-तार सब गल जाने दो,
मृत को भी जीवन पाने दो।
अपनी बाती हम सुलगाएं,
आओ ऐसा दीप जलाएं।।
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दुखी,दीन,श्रीहीन,अकेला,
किया गया जो भी अवहेला।
काट सभी का नीम-करेला।
उनको अपने गले लगाएं।
आओ ऐसा दीप जलाएं।।
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भारती माँ के मंदिर-द्वार।
बहु जाति-वर्ण के सुमन वार,
बनाएँ अनुपम वंदनवार।
चलो ‘अनेक’ ‘एक’ बन गाएं।
‘आओ ऐसा दीप जलाएं’।।
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©सत्यम प्रकाश ‘ऋतुपर्ण’
दि०: ३१-१०-२०२४