आओ एक नई सोच जगाते है — कविता
आओ एक नई सोच जगाते हैं।
हुई गलतियां अब तक हमसे,
सबको हम बिसराते हे।।
धरा की गोद में जन्म लिया।
सब कुछ इसने हमें दिया।
अपने अपने स्वार्थ को छोड़ें,
धरती को स्वर्ग बनाते हैं।
आओ एक नई सोच जगाते हैं।।
ऊंची ऊंची अट्टालिकाओं में,
क्या जीवन अपना सुरक्षित है?
प्रदूषित पर्यावरण में करें सुधार,
प्रकृति को फिर से सजाते है।।
आओ एक नई सोच जगाते है।।
पेड़ लगाएं पानी बचाएं,
अविरल नदियां फिर से बहे।
जीवन सबका बचा रहे।
बिन पानी न कोई रहे।
साथ साथ हम साथ सभी।
संकल्प यही उठाते है।
आओ एक नई सोच जगाते है।।
राजेश व्यास अनुनय