*आए जब बचपन की याद बुज़ुर्गों को*
बचपन अपना याद कर,
बुज़ुर्ग भी बच्चे बन जाते ।
शरारतें अपनी याद करके,
वो मन ही मन मुस्काते ।।
खट्टी मीठी यादें अपनी,
वो ख़ुश हो होकर बतलाते ।
पल भर के लिए ही सही,
अपनी उम्र भूल वो जाते ।।
याद वो बचपन की जब,
उनकी आँखों में छा जाए ।
एक अलग ही चमक सी,
उनकी आंखों में आ जाए ।।
अपनी यादों की बगिया में,
फ़िर हमको ख़ूब घुमाएं ।
भूले बिसरे किस्से अनगिनत,
वो हमको ख़ूब सुनाएं ।।