आई विदाई की घड़ी
आई विदाई की घड़ी
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आई विदाई की घड़ी,
माँ होते बड़े दुख।
शादी के इस बेला में,
बाप को कैसे सुख।
बाप को कैसे सुख,
सफल करने को सपने।
दिया निमंत्रण बाँट,
लगे आने सब अपने।
कह डिजेन्द्र करजोरि,
गगन में है मँहगाई।
ले दे कर सब जोड़,
ब्याह की घड़ियाँ आई।।
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रचनाकार-डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभवना,बलौदाबाजार (छ.ग.)
मो. 8120587822