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30 Jul 2017 · 1 min read

आई पावस ऋतु मनभावन

आई पावस ऋतु मनभावन
घनन-घनन-घन बरसे सावन

हुलस रहा सृष्टि का कन-कन
अद्भुत ये कुदरत का आँगन

सूखतीं नदियाँ, ताल, सरोवर
सूखी हरियाली, सूखे उपवन

इतना बरसो आज तुम बदरा
भर जाए रिक्त धरा का दामन

उमस, तपन, नीरसता बीते
भर किलकारी चहकें आँगन

जलधार मधुमय संगीत रचे
सुर बने श्रुति- मधुर लुभावन

सबको सबका मनमीत मिले
आन मिले विरहन से साजन

सखियाँ सोलह श्रंगार करें
गाएँ झूलती कजरी सुहावन

सुखद संदेशे घर-घर आएँ
हों शगुन शुभ मंगल पावन

सुखों की हो न कोई’सीमा’
बने ऋतु सब ताप नसावन

– सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र.)

Language: Hindi
1 Like · 352 Views
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