आई दिवाली कोरोना में
आई दिवाली कोरोना में ॥
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आज दिवाली आई है
स्वच्छता परिणाम लाई है
कोरोना दानव को डराई है
देख कोविड दीप लड़ी
भागी-भागी दूर खड़ी
मन ही मन बड़बड़ाई है
निडर मानव नहीं घबड़ाई है
इन प्राणी ने मुझे भगाई है ॥
दिवाली के सुअवसर पर ?
डब्लू . एच .ओ ने
स्वेदेशी कोवैक्सीन को
मान्यता दे भारतियों को
वीकेण्ड वैकेसन पर
दूर देश बुलाई है
आज दिवाली आई है
खुशी का संदेश लाई है ॥
भाव विभोर भारत ने
अयोध्या में लाखो दीयें जलाई है
एकता साहस अनुशासन से
अखण्ड भारत में रामराज्य लौटाई है
कोरोना में दिवाली आई है ॥
प्रधानमंत्री की प्रधानी
दूर देश को भायी है
जयकारे की हुंकार से –
दुश्मन देश थराई है
भारत माँ की बिंदिया को
देश विदेश में चमका कर
प्रधान रक्षक कहलाई है
आज दिवाली आई है
स्वच्छता परिणाम लाई है । डरी कोरोना कहती संगी से
चल बहना चल जल्दी चल
भारत छोड़ मायके चल
क्योंकि ?? …
दूर देश से आकर हमनें
खूब तबाही मचाई है
लाशों की रंगोली बनाई है
चलो चलो अब यहाँ से
चलने की बेला आई है ॥
मुंह पर मास्क हाथो मे
सैनीटाइजर अभेद
दस्ताने दो गज की दूरी
दवाई भी कड़ाई भी
दो डोज इनजंक्सन
डोर डोर तक पहुंचाई है
विविध वैक्सीन को अजमा
बूस्टर डोज लगवाई है
घण्डी घण्टा शंख नाद
ताली थाली बजा बजा कर
लाखों दीप जलाई है
कोविडशिल्ड स्वेदेशी कोविन
न जाने कौन कौन सी आयुष
जन जन तक पहुंचाई है
कोरोना में दिवाली आई है ॥
शेष नही अब किस तन पकडूँ
तुलसी लहसुन गोल गिलोय
आदी अदरख सौंफ लौंग खाकर
तन तन में इम्यून बढ़ाई है
योग योगासन सिंह सिंहासन
अकड़ अकड दॉत मुझे दिखाई है
खुशी का जश्न मनाई है
कोरोना में दिवाली आई है
रूठी संगी कहती :
सहस्रवर्षों की प्रतिक्षा से
अवसर आज पाई है
छुपम छुपाई खेल खिलाड़ी
नाम बदल बदल आनी है
शव -शय्या की सेज सजा
परिजनो की बदला लेनी है
अभी नहीं मुझे जानी है ।
झूठी दम्भ तू भरती हो
ज्ञान – विदुषी अन्वेषक
यहाँ के दूरगामी सरकार
बहुयामी अविष्कारों से
मार – मार बेइज्जत कर
हमें भगाने को ठानी है ॥
इससे अच्छा ईज्जत से चल
अपनी गरिमा बचानी है
अलग बसेरा बनानी है
बात समझ में आई है
चलो चलें अब
चलने की बेला आई है
स्वच्छ स्वस्थ्य रहना
खुश रहना भारतवासियों
अब हम तो मायके जाते हैं
मेरी कहर याद कर सावधान रहनी है
कोरोना में दिवाली आई है …
धन्यवाद ।
टी . पी . तरुण
(पुस्तकालयाध्यक्ष )