आईनों पर दाग की सिफारिश ना कर
आईनों पर दाग की सिफारिश ना कर
तू बेवजह आग की सिफारिश ना कर
मैं तुझे जन्नत बसाकर दे सकता हूँ पर
उजड़े हुए बाग की सिफारिश ना कर
पहले ही आस्तीन मे छुपा बैठा है अब
और किसी नाग की सिफारिश ना कर
तू कुछ और मांग ले इस मौसम मे मगर
त्यौहार ऐ फाग की सिफारिश ना कर
मैं तेरी मनमर्जी की धुन न बजा पाऊंगा
हाथ नही हैं राग की सिफारिश ना कर
मारूफ आलम