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29 Apr 2020 · 1 min read

{{{ आईना }}}

आज आईना भी हमसे शरारत कर रहा है ,
पूछता क्यों तू मुझमे उसको है ढूंढ रहा ,,

रहती है सारी शिकायते उससे तेरी ,
फिर क्यों मेरे ऊपर तेरा गुस्सा उतर रहा,,

माना के तेरा रूप मुझमे दिखता है ,
तेरी आँखों के हर आँसू से,कांच मेरा टूट रहा ,,

हर लम्हा बिताया है मैंने तेरे साथ ,
मेरे ऊपर जमी धूल को ,तू अपनी प्रतिबिंब से
हटाता रहा ,,

रहता है तू ख़ामोश , गुमसुम सा हर दम ,
अपने सारे ज़ख्म सिर्फ,मुझसे ही रु-ब-रु करता रहा,,

तेरा सच बताने का तरीका भी बड़ा अज़ीब हैं ,
जब भी सीधा कुछ दिखाओ तो , उल्टा ही मुझे
दिखता रहा,,

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 542 Views
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